जैविक खेती

  जैविक - खेती की.... परिभाषा


"ऐसी खेती जिसमें  दीर्घकालीन व  स्थिर उपज प्राप्त करने के लिए  कारखानों में निर्मित । रसायनिक  उर्वरकों ,  कीटनाशियों व  खरपतवारनाशियों तथा वृद्धि नियन्त्रक का प्रयोग न करते । हुए जीवांशयुक्त खादों का प्रयोग किया जाता है तथा मृदा एवं पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण । होता है , कहलाती है । 

कृषकों की दृष्टि से लाभसंपादित करें

भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है।

सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है।

रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।

फसलों की उत्पादकता में वृद्धि।

बाज़ार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ने से किसानों की आय में भी वृद्धि होती है |

मिट्टी की दृष्टि सेसंपादित करें

जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है।

भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं।

भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होगा।

पर्यावरण की दृष्टि सेसंपादित करें

भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है।

मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है।

कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है।

फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि

अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद की गुणवत्ता का खरा उतरना।

जैविक खेती, की विधि रासायनिक खेती की विधि की तुलना में बराबर या अधिक उत्पादन देती है अर्थात जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णत: सहायक है। वर्षा आधारित क्षेत्रों में जैविक खेती की विधि और भी अधिक लाभदायक है। जैविक विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन की लागत तो कम होती ही है इसके साथ ही कृषक भाइयों को आय अधिक प्राप्त होती है तथा अंतराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद अधिक खरे उतरते हैं। जिसके फलस्वरूप सामान्य उत्पादन की अपेक्षा में कृषक भाई अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आधुनिक समय में निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या, पर्यावरण प्रदूषण, भूमि की उर्वरा शकि्त का संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती की राह अत्यन्त लाभदायक है। मानव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए नितान्त आवश्यक है कि प्राकृतिक संसाधन प्रदूषित न हों, शुद्ध वातावरण रहे एवं पौषि्टक आहार मिलता रहे, इसके लिये हमें जैविक खेती की कृषि पद्धतियाँ को अपनाना होगा जोकि हमारे नैसर्गिक संसाधनों एवं मानवीय पर्यावरण को प्रदूषित किये बगैर समस्त जनमानस को खाद्य सामग्री उपलब्ध करा सकेगी तथा हमें खुशहाल जीने की राह दिखा सकेगी।


जैविक खेती से भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है | सिंचाई के अन्तराल में वृद्धि होती है | जैविक खेती के उपयोग से रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है साथ ही साथ फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है |

अगर मिटटी की दृष्टि से देखें तो जैविक खाद के उपयोग से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है तथा भूमि की जल धारण की क्षमता बढती है | भूमि से पानी का वाष्पीकरण भी कम होता है |

जैविक खेती, की विधि रासायनिक खेती की विधि की तुलना में बराबर या अधिक उत्पादन देती है अर्थात जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णत: सहायक है।

वर्षा आधारित क्षेत्रों में जैविक खेती की विधि और भी अधिक लाभदायक है। जैविक विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन की लागत तो कम होती ही है इसके साथ ही कृषक भाइयों को आय अधिक प्राप्त होती है तथा अंतराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद अधिक खरे उतरते हैं। जिसके फलस्वरूप सामान्य उत्पादन की अपेक्षा में कृषक भाई अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

आधुनिक समय में निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या, पर्यावरण प्रदूषण, भूमि की उर्वरा शकि्त का संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती की राह अत्यन्त लाभदायक है। मानव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए नितान्त आवश्यक है कि प्राकृतिक संसाधन प्रदूषित न हों, शुद्ध वातावरण रहे एवं पौषि्टक आहार मिलता रहे, इसके लिये हमें जैविक खेती की कृषि पद्धतियाँ अपनाना होगा जोकि हमारे नैसर्गिक संसाधनों एवं मानवीय पर्यावरण को प्रदूषित किये बगैर समस्त जनमानस को खाद्य सामग्री उपलब्ध करा सकेगी तथा हमें खुशहाल जीने की राह दिखा सकेगी।



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