संबिधान सभा की प्रमुख समितिया उनकी सदस्य संख्या व अध्यक्ष
समितियां – सदस्य संख्या – अध्यक्ष
- प्रारूप समिति – 07 – डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
- कार्य संचालन समिति – 03 – के एम मुन्शी
- संघ शक्ति समिति – 09 – पं. जवाहरलाल नेहरू
- मूल अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति – 54 – सरदार वल्लभ भाई पटेल
- संघ संविधान समिति – 07 – पं. जवाहरलाल नेहरू
- प्रक्रिया समिति – 07 – डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- वार्ता समिति – 07 – डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- झंडा समिति – 07 – जे.बी.कृपलानी
- प्रांतीय संविधान समिति – 07 – सरदार पटेल
- अल्पसंख्याक उप-समिति – 07 – एच. सी. मुखर्जी
संविधान सभा की विभिन्न समितियाँ
- संविधान बनाने के लिए संविधान सभा ने सबसे पहले 13 समितियों का गठन किया। इन समितियों ने अगस्त 1947 तक अपनी-अपनी रिर्पोट्स भेजी और उसके पश्चात उन रिर्पोट्स पर संविधान सभा ने विचार किया तत्पश्चात डॉ.बी.एन.राव ने संविधान सभा द्वारा किए गए निर्णय के आधार पर संविधान का पहला प्रारूप तैयार किया। इसे तैयार करने में सर बी.एन.राव ने लगभग तीन महीने लगाए। संविधान के प्रथम प्रारूप में 243 अनुच्छेद तथा 13 अनुसूचियां थी।
- एन.माधव राव, बी.एल. मित्र के स्थान पर बाद में नियुक्त हुए।
- प्रारूप समिति के सदस्य श्री एन. गोपालस्वामी आयंगार, अलादि कृष्णास्वामी अय्यर, मोहम्मद सादुल्ला,. के. एम. मुंशी, बी.एल.मिल और डी.पी.खेतान थे।
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर संविधान सभा के सदस्य के लिए बंगाल समिति से निर्वाचित हुए थे।
- संविधान सभा की सदस्यता अस्वीकार करने वालों में महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण तथा तेज बहादुर सप्रू प्रमुख हैं।
बी. आर. अम्बेडकर : प्रारूप समिति के अध्यक्ष
डॉ. बी. एन. राय द्वारा तैयार किए गए संविधान के प्रारूप पर विचार करने के लिए संविधान सभा ने डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में एक प्रारूप समिति का गठन किया जिसके निम्न सदस्य थे :
- श्री एन. गोपालस्वामी आयंगर
- अलादि कृष्णास्वामी अय्यर
- मोहम्मद सादुल्ला
- के. एम. मुन्शी
- बी. एल. मित्र
- डी. पी. खेतान
टिप्पणी : कुछ समय बाद बी. एल. मित्र का स्थान एन. माधव राय द्वारा लिया गया और 1948 में डी. पी. खेतान की मृत्यु हो जाने पर उनका स्थान टी. टी. कृष्णमाचारी द्वारा लिया गया।
प्रारूप समिति के पहले बनने पर उसमें 243 अनुच्छेद तथा 13 अनुसूचियाँ थीं। दूसरे प्रारूप में परिवर्तन करके 315 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थी तीसरे प्रारूप में 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियाँ थी, जिसे तैयार करने में 32 वर्ष, 11 महीने 18 दिन का समय लगा, 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपनी मंजूरी दे दी।
संविधान सभा की प्रमुख महिलाएँ
- कादम्बरी गांगुली : भारत की पहली महिला ग्रेजुएट- कलकत्ता विश्वविद्यालय या कांग्रेस अधिवेशन को संबोधित करने वाली पहली महिला।
संविधान सभा की सक्रिय महिला सदस्य
- हंसा मेहता : संविधान सभा की सक्रिय महिला
- दुर्गा बाई देशमुख : संविधान सभा की सक्रिय महिला
- सरोजनी नायडू : सविधान सभा की सक्रिय महिला थीं।
भारतीय संविधान की प्रकृति और स्वरूप
- भारत के मूल संविधान में 395 अनुच्छेद तथा 22 भाग एवं चार परिशिष्ट व 8 अनुसूचियाँ थी, जबकि वर्तमान समय में अनुच्छेदों की संख्या कुल 395 तथा कुल 25 भाग एवं पाँच परिशिष्ट तथा 12 अनुसूचियाँ हैं।
- ”हमारा संविधान एकात्मक और संघात्मक दोनों हैं यानि दोनों का सम्मिश्रण है।” भारत का संविधान संघीय कम एवं एकात्मक अधिक है – डी.डी.बसु।
- भारत का संविधान अर्द्ध संघीय है – के. सी. व्हीलर।
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भारतीय संविधान के स्त्रोत
विदेशी स्त्रोत
- संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, राज्य की कार्यपालिका के प्रमुख तथा सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर के रूप में राष्ट्रपति के होने का प्रावधान, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात।
- ब्रिटेन से संसदात्मक शासन-प्रणाली, एकल नागरिकता एवं विधि-निर्माण प्रक्रिया, मंत्रियों के उत्तरदायित्व वाली संसदीय प्रणाली।
- आयरलैंड से नीति निदेशक सिद्धांत, राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था, राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज-सेवा इत्यादि के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन, आपातकालीन उपबंध।
- आस्ट्रेलिया से प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान, केन्द्र एवं राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियो का विभाजन, संसदीय विशेषाधिकार।
- जर्मनी से आपातकाल के प्रवर्तन के दौरान राष्ट्रपति को मौलिक अधिकार संबंधी शक्तियाँ।
- कनाडा से संघात्मक विशेषताएँ, अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास होना, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति और उच्चतम न्यायालय का परामर्शी न्याय निर्णयन तथा राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन।
- दक्षिण अफ्रीका से संविधान संशोधन की प्रक्रिया का प्रावधान।
- रूस से मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान।
- जापान से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया।
- स्विट्जरलैण्ड से संविधान की सभी सामाजिक नीतियों के संदर्भ में निदेशक तत्वों का उपबंध।
- फ्रांस से गणतांत्रिक व्यवस्था, अध्यादेश, नियम, विनियम आदेश, संविधान, विशेषज्ञ के विचार न्यायिक निर्णय, सविधियाँ और प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्श।
- इटली से मूल कर्तव्यों की भाषाएँ भावना।
भारतीय स्त्रोत
- भारतीय संविधान के स्त्रोत में हम भारत के लोग तथा भारत शासन अधिनियम 1935 हैं। 395 अनुच्छेदों में से लगभग 250 अनुच्छेद इसी से लिए गए या उनमें थोड़ा परिवर्तन किया गया।
- 1935 अधिनियम के प्रमुख प्रावधान संघ तथा राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन, राष्ट्रपति की आपात कालीन शक्तियाँ, अल्पसंख्यक वर्गो के हितों की रक्षा, उच्चतम न्यायालय का निम्न स्तर के न्यायालय पर नियंत्रण, केंद्रीय शासन का राज्य के शासन में हस्तक्षेप, व्यवस्थापिका के दो सदन।
देशी रियासतें
- रियासतों को भारत में सम्मिलित करने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में रियासती मंत्रालय बनाया गया।
- जूनप्राढ़ रियासत को जनमत संग्रह के आधार पर, हैदराबाद की रियासत को ‘पुलिस कार्रवाई’ के माध्यम से और जम्मू-कश्मीर रियासत को विलय-पत्र पर हस्ताक्षर के द्वारा भारत में मिलाया गया।
- भारत और पाकिस्तान के दो राष्ट्रों में विभाजन हो जाने के कारण सिंध, ब्लूचिस्तान, उत्तर पश्चिमी सीमा, बंगाल, पंजाब तथा असम के सिलहट जिले के प्रतिनिधि संविधान सभा के सदस्य नहीं रह गए।
- सर्वाधिक बड़ी सदस्यों वाली देशी रियासत मैसूर थी, जिसमें सदस्यों की संख्या कुल 7 थी।
भारतीय संविधान के एकात्मक एवं संघात्मक लक्षण
- विश्व का सबसे लम्बा एवं लिखित संविधान तथा साधारण समय में इसका प्रारूप संघीय है परंतु आपातकाल में यह एकात्मक हो जाता है।
- यह सभी नागरिकों को एक समान नागरिकता प्रदान करता है तथा पंथ निरपेक्षता की घोषणा करता है।
- संविधान संप्रभु है तथा न्यायिक सर्वोच्चता में समन्वय है।
- विशालता एवं लिपि बाध्यता एवं संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य।
- समाजवादी एवं पंथ निरपेक्ष राज्य एवं एकल नागरिकता का प्रावधान है।
- मूल कर्तव्यों की लिपिबद्धता एवं वयस्क एवं सार्वजनिक मताधिकार।
- लिखित संविधान।
- संविधान की सर्वोच्चता।
- स्वतंत्र न्यायपालिका।
- मौलिक अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, नीति-निदेशक तत्व एवं संघीय शासन-प्रणाली।
- संसदीय एवं अध्यक्षात्मक पद्धतियों का समन्वय एवं अल्पसंख्यक एवं पिछड़ी जाति के हितों की रक्षा।
- सविधान की सर्वोच्चता एवं लोकप्रिय प्रभुसत्ता पर आधारित संविधान।
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